आजकल इंसान अनगिनत बीमारियों से परेशान रहता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिससे वह एक बीमारी समझता है वह कोई दूसरी बीमारी हो सकती है। ठीक इसी तरह हार्टअटैक (Heart Attack) और कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) में भी लोग बहुत कंफ्यूज होते हैं। उन्हें लगता है कि यह दोनों एक ही होते हैं, लेकिन बता दें कि इन दोनों में काफी अंतर होता है और इनके लक्षण भी काफी अलग होते हैं। तो चलिए हम आपको बताते कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक कैसे अलग (Difference between Cardiac Arrest and Heart Attack) होता है और इसके सिम्टम्स क्या होते हैं और सर्वाइवल चांसेस किसमें ज्यादा होते हैं।
बहुत से लोग अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को समानार्थी समझ लेते हैं, परन्तु इन दोनों स्थितियों में काफी अंतर होता है। कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते हैं परन्तु दिल का दौरा पड़ने का मतलब होता है हार्ट अटैक आना। दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, और कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब मनुष्य के हृदय में अचानक सूचनाओं का आदान प्रदान बिगड़ जाता है या ये कार्य करना बन्द कर देता है और अचानक धड़कना बंद कर देता है।
कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातक होता है। इस लेख में जानेंगे कि क्या होता है कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest Meaning in Hindi) और हार्ट अटैक (Heart Attack in Hindi) और ये दोनों किस प्रकार एक दूसरे से अलग होते हैं।
हृदय गति का अचानक रूक जाना कार्डियक अरेस्ट कहलाता है। यह अक्सर बिना किसी चेतावनी के और अचानक होता है। कार्डियक अरेस्ट, दिल में विद्युत संवेग में खराबी से शुरू होता है जो अनियमित दिल की धड़कन का कारण बनता है। जब दिल की पंपिंग क्रिया बाधित होती है तब हमारा हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में रक्त पंप नहीं कर पता या अक्षम हो जाता है। धीरे धीरे, व्यक्ति चेतना खोन आरम्भ कर देता है और उसकी पल्स या नाड़ी बंद हो जाती है। यह पूरी स्थिति कार्डियक अरेस्ट कहलाती है। अगर कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को इलाज नहीं मिलता है तो उसकी कुछ ही मिनटों के भीतर मौत हो सकती है।
यदि कार्डियक अरेस्ट के होते ही प्राथमिक उपचार दे दिया जाये तो उचित चिकित्सा देखभाल के साथ, पीड़ित का जीवन बचाना संभव है। इसके प्राथमिक चिकित्सा के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) दिया जाता है, जिसमे डिफाइब्रिलेटर का उपयोग किया जाता है- या इसके अलावा केवल छाती को दोनों हाथों से तेज़ी से दवाने से भी पीड़ित के जीवन की रक्षा की जा सकती है ऐसा करने से चिकित्सा सहायता के आने तक पीड़ित के जीवित रहने की संभावना में सुधार किया जा सकता है।
हार्ट अटैक तब होता है जब एक अवरुद्ध धमनी या ब्लॉक्ड आर्टरी ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय के किसी हिस्से तक पहुंचने से रोकती है। यदि अवरुद्ध धमनी को समय से फिर से नहीं खोला जाता या सही नहीं किया जाता है, तो उस आर्टरी से सामान्य रूप से पोषित हृदय का वह हिस्सा मरना शुरू हो जाता है, और व्यक्ति हार्ट अटैक का शिकार हो जाता है। कोई व्यक्ति इलाज कराने में जितना समय लेगा, उसे उतना ही अधिक नुकसान होगा।
हार्ट अटैक के लक्षण तत्काल और तीव्र हो सकते हैं।हालांकि, ज्यादातर इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं और हार्ट अटैक से पहले कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों तक बने रहते हैं। हार्ट अटैक में कार्डियक अरेस्ट की तरह अचानक हृदय गति नहीं रूकती। यदि इसके लक्षणों की बात की जाये तो यह महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा भिन्न हो सकते हैं।
यद्धपि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों ही हृदय सम्बन्धित स्थितियां हैं किन्तु ये दोनों ही अलग अलग होती हैं जिन्हे बहुत बार लोग भ्रम वश एक समान समझ लेते हैं किन्तु इन दोनों के बीच अंतर होता है। हार्ट अटैक (जिसे डॉक्टर मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन या एमआई भी कहते हैं) को हृदय के किसी क्षेत्र में अपर्याप्त रक्त प्रवाह के कारण हृदय की मांसपेशियों के हिस्से को नुकसान के रूप में परिभाषित किया जाता है।
ज्यादातर, यह हृदय की धमनियों में रुकावट के कारण होता है, जिसे टाइप 1 हार्ट अटैक के रूप में जाना जाता है। इस तरह की रुकावटें आमतौर पर तब होती हैं जब कोलेस्ट्रॉल से भरपूर पट्टिका धमनी के फटने का कारण बनती हैं। इसमें ब्लड का थक्का बन जाता है, और वेसल्स को बाधित करता है।
हार्ट अटैक एक प्रकार की प्लंबिंग समस्या (रक्त हृदय के किसी क्षेत्र तक नहीं पहुँच पाता) है, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम (विद्युत संवेग समस्या) है।
कार्डिएक अरेस्ट तब होता है जब हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी होती है, जिससे यह अचानक तेजी से और बुरी तरह से धड़कने लगता है, या पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है। इस स्थिति में रक्त के मस्तिष्क, फेफड़े, और अन्य अंगों में संचार न होने के कारण, व्यक्ति हांफने लगता है और सांस लेना बंद कर देता है और कुछ ही सेकंड में अनुत्तरदायी हो जाता है।
हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट के होने का एक आम कारण होता है, हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट नहीं होता है। कार्डियक अरेस्ट के अन्य संभावित कारणों में हार्ट फ़ैल होना, फेफड़ों में थक्का जम जाना, पोटेशियम, मैग्नीशियम या रक्त में अन्य खनिजों का एक गंभीर असंतुलन, किसी दवा का ओवरडोज, या छाती के लिए एक झटका शामिल है।
तेजी से कार्रवाई से जान बच सकती है।
कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन वे बहुत अलग हैं। दिल का दौरा, जिसे रोधगलन भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब हृदय में रक्त के प्रवाह में अचानक रुकावट आती है। जब हृदय के किसी हिस्से में प्रवाह कम हो जाता है या कोई प्रवाह नहीं होता है। इस स्थिति में दिल अभी भी धड़क रहा है और अपना काम कर रहा है, लेकिन शायद उतनी कुशलता से नहीं। वहीं दूसरी ओर कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है। यह आमतौर पर हृदय की 'विद्युत' प्रणाली में किसी समस्या के कारण होता है। जैसे ही दिल धड़कना बंद कर देता है, मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह नहीं होता है।
यदि आपको या आपके आस-पास के किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक के लक्षण या कार्डियक अरेस्ट आने पर तुरंत 911 पर कॉल करें। सामान्यतः हार्ट अटैक में ये लक्षण शामिल होते हैं:
हार्ट अटैक की स्थिति में यदि आप ईएमएस (एमर्जेन्सी मेडिकल सर्विस) को कॉल करते हैं तो यह तुरंत पीड़ित को आपातकालीन कक्ष में ले जाने का सबसे अच्छा व उत्तम विकल्प है। आपातकालीन चिकित्सा सेवा (ईएमएस) के कर्मचारी आते ही इलाज शुरू कर सकते हैं और अस्पताल तक पहुँचने से पहले प्राथमिक उपचार दिया जा सकता है। ईएमएस स्टाफ को किसी ऐसे व्यक्ति को पुनर्जीवित करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है जिसके हृदय ने काम करना बंद कर दिया हो।
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में अगर कुछ मिनटों में पीड़ित का इलाज हो जाए तो ज्यादातर मामलो में इसका उलटा होता है, यानी पीड़ित की जान बचाई जा सकती है। इस स्थिति में भी सबसे पहले, आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए 9-1-1 पर कॉल करें। फिर, यदि हो सके तो एक स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर का उपयोग करके पीड़ित को प्राथमिक उपचार दें। इसके अलावा तुरंत सीपीआर करना शुरू करें और तब तक यह करते रहें जब तक पेशेवर आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं न आ जाएं। यदि दो लोग मदद के लिए उपलब्ध हों, तो एक को तुरंत सीपीआर शुरू करना चाहिए, जबकि दूसरे को 9-1-1 पर कॉल करके, AED (स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर) ढूंढना चाहिए। सीपीआर (CPR) तकनीक का प्रयोग करके, आप पीड़ित के जीवित रहने की संभावना को दोगुना या तिगुना कर सकते हैं।
सीपीआर का पूरा नाम कार्डियोपल्मोनरी रेसुसाइटेशन (पुनर्जीवन) है, जो एक आपातकालीन जीवन-रक्षक प्रक्रिया है। इसमें मुख्य रूप से पीड़ित को मुंह से मुंह सांस दी जाती है और सीने को दबाया जाता है। इस प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा कार्डियक अरेस्ट और डूबने के मामलों में बहुत प्रभावी होती है, जहां व्यक्ति बेहोश होता है और पीड़ित को सांस लेने में परेशानी होती है या रक्त संचार नहीं होता है।
यद्धपि ये दोनों स्थितियाँ एक समान लगती हैं किन्तु दोनों के ही लक्षण और प्रभाव भिन्न होते हैं। यदि आप अपने आस पास किसी व्यक्ति या स्वयं ऐसा कोई लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरन्त 911 पर कॉल करें और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करें। आवश्यक है कि हार्ट अटेक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर (Difference Between Cardiac Arrest And Heart Attack in Hindi) पता हो और पीड़ित को तुरंत उपचार दिया जा सके।