आज भी अधिकतर लोग ये मानते हैं की हार्ट अटैक सिर्फ बुढ़ापे में या फिर 55 की उम्र के बाद ही आता है, यह सिर्फ एक अवधारणा या झूठा तथ्य है। हार्ट की समस्या आजकल सामान्य बनती जा रही है। कई ऐसे मामले सामने आए है, जब कम उम्र में ही लोगों को हार्ट अटैक आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि हार्ट प्रॉब्लम (दिल का बीमारी) जिसे आम तौर पर बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है, वह अब 30 और 40 साल के लोगों को कैसे अपने चपेट में ले रही है। खास तौर से ऐसे लोग जो पूरी तरह से फिट हैं और उन्हें कभी कोई पहले से दिक्कत भी नहीं हुई है। क्या अब हार्ट अटैक एक लाइफ स्टाइल बीमारी हो गई है, जिसकी वजह से इस तरह के मामले सामने आने लगे हैं।
हाल ही में एक मशहूर TV एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक मौत में लोगों को एकदम हैरान कर दिया। लोगों को इस बात का काफ़ी गहरा सदमा लगा कि आख़िर एक चलता फिरता मज़बूत नौजवान यूं अचानक कैसे इस दुनिया से चला गया। सिद्धार्थ शुक्ला की मौत के कारणों के पीछे लोगों ने कई आशंकाओं को ज़ाहिर किया जिनमें से एक थी आत्महत्या। पहले तो लोगों को लगा कि सिद्धार्थ शुक्ला ने आत्महत्या की है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट्स के आने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि सिद्धार्थ शुक्ला की मौत आत्महत्या से नहीं बल्कि हार्ट अटैक से हुई है। सिद्धार्थ शुक्ला काफ़ी फ़िट थे और वे अपनी ज़िंदगी में जिम और अच्छे खानपान को काफ़ी महत्व देते थे।
दरअसल हम यह सोचते हैं कि हार्ट अटैक या तो सिर्फ़ बुढ़ापे में आता है या फिर ये उन लोगों को आता है जो फ़िटनेस का ख्याल नहीं रखते। यह बात सत्य नहीं है। हार्ट अटैक एक ऐसी बीमारी है जो ना सिर्फ़ ख़तरनाक है बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को लग सकती है। आज के अपने इस लेख में हम हार्ट अटैक से संबंधित एक महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे। आइए सबसे पहले हम देखते हैं कि हार्ट अटैक क्या होता है?
जब शरीर की नसों में खून का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता है तो ऐसे में खून जमने की समस्या या क्लॉटिंग होना शुरू हो जाती है। इस क्लॉटिंग की वजह से खून हृदय तक पहुँचने में असमर्थ होता है। इसी के साथ हृदय को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है। यह स्थिति हार्ट अटैक की होती है। हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इन्फ़्रैक्शन भी कहते हैं। एक हार्ड अटैक की स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकती है लेकिन यदि तुरंत उपचार मिल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
हर व्यक्ति में हार्ट अटैक के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में हार्ट अटैक के समय काफ़ी तेज़ दर्द होता है तो वहीं कुछ लोगों को हार्ट अटैक के दौरान दर्द कम होता है। कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि हार्ट अटैक से पहले किसी व्यक्ति के बाएँ हाथ में दर्द शुरू हो जाता है। कुछ लोगों को हार्ट अटैक बिना किसी चेतावनी के आता है तो वहीं कुछ लोगों को हार्ट अटैक से पूर्व कुछ लक्षण देखने को मिल जाते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि कुछ लोगों को हार्ट अटैक से पहले अचानक से सीने में दर्द उठता है जो आराम करने पर ख़त्म हो जाता है। इसी तरह कुछ लोगों को कुछ घंटे, कुछ दिन पहले या कुछ हफ़्ते पहले से ही हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई देते हैं। सीने में दर्द का कारण रक्त के प्रवाह में आयी कमी होती है।
मेडिकल जनरल लॉन्सेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 से 2016 के बीच भारत में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हर 100 में से 28.1 लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक से मर रहे हैं। इसमें से हार्ट अटैक से करीब 18 लोगों की मौत होती है। अहम बात यह है कि इसमें 50 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 से भी कम है। इसमें भी एक बड़ी संख्या 50 के उम्र के आस-पास के लोगों की है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक से महिलाओं की तुलना में पुरूषों की ज्यादा मौत होती है।
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अब हार्ट अटैक ऐसे लोगों को होता है, जो शरीर से फिट दिखते हैं, उनकी उम्र भी बेहद कम है। उन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं है। ऐसा क्यों होता है और हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
डॉ. पलकेश अग्रवाल - कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह लोगों की लाइफ स्टाइल और खान-पान है। ये दोनों चीजों बहुत खराब हो चुकी है। लोग ठीक से नींद नहीं लेते हैं, रात में देर तक जगते हैं। खाने में जंक फूड, पॉम ऑयल का इस्तेमाल बढ़ गया है। जिसकी वजह से जोखिम बढ़ता जा रहा है। आज जो रिफाइन्ड तेल इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें पॉम आयल भी मिलाया जाता है। इसके अलावा भोजन में मैदे वाली चीजों की हिस्सेदारी बढ़ गई है। प्रीजरवेटिव फूड खाया जा रहा है। सब्जियों का इस्तेमाल कम हो गया है। जिससे भी जोखिम कहीं ज्यादा हो गया है।
कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह , धुम्रपान (Smoking) है। इसके बाद लाइफस्टाइल एक बड़ा फैक्टर है। हो सकता है कि आप बाहर से फिट दिखते हैं, लेकिन लाइफस्टाइल आपके शरीर को नुकसान पहुंचाती है। नींद कम लेना, बैलेंस डाइट नहीं होना , ऐसे लोग जो रात में काम करते हैं और मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रेशर भी हार्ट अटैक की वजह बन रहा है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर के अंदर जो क्लॉटिंग होती है। वह किसी दूसरे अंग में रहती है। और वह रियलटाइम में जाकर दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों को ब्लॉक कर देती है। जिसकी वजह से अचानक दिल्ली का दौरा पड़ता हैं और इसका अंदाजा पहले से लग नहीं पाता है। यह ऐसे लोगों को ज्यादा होता है, जिनकी दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में पहले से ब्लॉकेज है। ऐसे में जब ब्लॉकेज दूसरे अंग से अचानक पहुंचता है तो व्यक्ति को मौका ही नहीं मिल पाता है। जिसे थंबोलाई कहा जाता है।
डॉ. पलकेश अग्रवाल - कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह लोगों की लाइफ स्टाइल और खान-पान है। ये दोनों चीजों बहुत खराब हो चुकी है। लोग ठीक से नींद नहीं लेते हैं, रात में देर तक जगते हैं। खाने में जंक फूड, पॉम ऑयल का इस्तेमाल बढ़ गया है। जिसकी वजह से जोखिम बढ़ता जा रहा है। आज जो रिफाइन्ड तेल इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें पॉम आयल भी मिलाया जाता है। इसके अलावा भोजन में मैदे वाली चीजों की हिस्सेदारी बढ़ गई है। प्रीजरवेटिव फूड खाया जा रहा है। सब्जियों का इस्तेमाल कम हो गया है। जिससे भी जोखिम कहीं ज्यादा हो गया है।
कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह , धुम्रपान (Smoking) है। इसके बाद लाइफस्टाइल एक बड़ा फैक्टर है। हो सकता है कि आप बाहर से फिट दिखते हैं, लेकिन लाइफस्टाइल आपके शरीर को नुकसान पहुंचाती है। नींद कम लेना, बैलेंस डाइट नहीं होना , ऐसे लोग जो रात में काम करते हैं और मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रेशर भी हार्ट अटैक की वजह बन रहा है।
हार्ट अटैक का मूल लक्षण यही है कि वह कोई चेतावनी नहीं देता है। 50-60 फीसदी हार्ट अटैक ऐसे होते हैं, जिसमें पहले से मरीज को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज 20-30 फीसदी पहले से होता है। लेकिन जैसे ही शरीर में कुछ बदलाव होते हैं तो वह हिस्सा फट (Rupture) जाता है। जिसकी वजह से पूरी तरह से ब्लॉकेज हो जाता है। और हार्ट अटैक आता है।
हार्ट अटैक का प्रमुख कारण नसों में रक्त का ज़मना होता है। ब्लड क्लॉटिंग एक ख़तरनाक समस्या है जो हार्ट अटैक को जन्म दे सकती है। इसके साथ साथ हार्ट अटैक की कुछ निम्न कारण हो सकते हैं जिनसे हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है
1.) मानसिक स्थिति
जी हाँ, ये बात भले ही सुनने में थोड़ी सी अजीब लगे लेकिन मानसिक स्थिति के कारण भी हृदय को नुक़सान पहुँच सकता है। कई मामलों में डिप्रेशन या तनाव के चलते भी हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिलती है।
2.) तम्बाकू या धूम्रपान
जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं या फिर वे सिगरेट के द्वारा धूम्रपान करते हैं तो ऐसे में उन्हें हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। इसी के साथ साथ ऐसे लोग जो सिगरेट पीने वालों के साथ रहते हैं उन्हें भी हार्ट अटैक की संभावना रहती है। लंबे समय तक सेकेंड हैंड स्मोक अर्थात सिगरेट पीने वाले के द्वारा छोड़े गए धुएं के संपर्क में रहने से हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
3.) मोटापा
मोटापा ना सिर्फ़ हार्ट अटैक को ही जन्म देता है बल्कि इसके साथ ही ये व्यक्ति को अवसाद और अन्य बीमारियां भी देता है। दरअसल हमारे शरीर में फ़ैट या वसा की एक उचित मात्रा होना ही ज़रूरी है। जब हम कोई चीज़ खाते हैं तो उसमें से फ़ैट हमारे शरीर में आता है। कई बार ये फ़ैट अधिक होने के कारण शरीर में जमा होने लगता है।
वैसे तो वसा शरीर को ऊर्जा देता है लेकिन अधिक मात्रा में लिया गया फ़ैट या वसा नसों के किनारों पर जमने लगता है। इस तरह नसें संकरी होने लगती है। इससे नसों में रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं होता और वह बाधित होने लगता है। ऐसी स्थिति में कभी कभी नसों में क्लॉटिंग भी हो सकती है। अब हम कह सकते हैं कि यह स्थिति हार्ट अटैक को जन्म दे सकती है।
4.) उच्च रक्तचाप
हमारे शरीर में होने वाली समस्त प्रक्रियाएं सामान्य ही होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर हमारी नसों में रक्त का प्रवाह एक निश्चित गति से होता है और यह निश्चित ही होना चाहिए। यदि नसों में रक्त का प्रवाह धीमा या ज़्यादा हो जाता है तो ऐसे में हृदय रोग की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
ऐसे लोग जो काफ़ी समय से उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ज़्यादा लंबे समय तक रहने वाला उच्च रक्तचाप हार्ट अटैक जैसी ख़तरनाक बीमारी को जन्म दे सकता है।
5.) मेटाबोलिक सिंड्रोम
जब कोई व्यक्ति मोटापे, हाई ब्लडप्रेशर और हाई ब्लड शुगर (उच्च रक्त वसा) की समस्या से लगातार जूझ रहा होता है तो इस स्थिति को मेटाबोलिक सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। यह स्थिति भी हार्ट अटैक के ख़तरे को बढ़ाती है।
6.) फ़िटनेस की कमी
जैसा कि हम ने बताया कि शरीर में वसा के जमाव के कारण हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप अपने आहार में कैलोरी की अधिक मात्रा लेते हैं और इसके बावजूद फ़िटनेस या कोई अन्य शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो ऐसे में हार्ट अटैक का ख़तरा काफ़ी बढ़ जाता है।
7.) लोगों की लापरवाही वजह
शरीर आपको सतर्क जरूर करता है। आम तौर पर लोग इस तरह के संकेत को नजर अंदाज कर देते हैं। मसलन आपका स्ट्रेस लेवल ( Stress level) ज्यादा है, नींद कम आती है, पेट साफ नहीं हो रहा है, शरीर के किसी हिस्से में लगातार दर्द रहता है। तो मतलब साफ है कि आपके शरीर में समस्या है। लेकिन लोग इन चीजों को नजर अंदाज करते हैं। जिसकी वजह से यह समस्या अचानक सामने आती है।
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