Best Cardiac Surgeon in Kota | Dr. Palkesh Agarwal
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September 15, 2022Angiography Meaning in Hindi
डॉक्टर मरीज को तब एंजियोग्राफी टेस्ट की सलाह देते हैं जब उसकी आर्टरी और नसों में ब्लॉकेज की संभावना होती है। इस जांच के बाद ब्लॉकेज आसानी से पता चल जाता है।
जब हमारे दिल में या हमारे शरीर के किसी अंग में किसी प्रकार का कोई अवरोध उत्पन्न होता है या हमारा हार्ट सही प्रकार से काम नहीं करता तब उसकी जाँच करने के लिए एंजियोग्राफी (Angiography in Hindi) की जाती है। एंजियोग्राफी एक डायग्नोस्टिक प्रोसेस है जो यह जानने के लिए की जाती है कि आपकी आर्टरी में कोई ब्लॉकेज तो नहीं है आइये जानते हैं कि कैसे की जाती है, कहाँ की जाती है और किस लिए की जाती है।
हाथ से की गई एंजियोग्राफी
क्या एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी एक ही चीज़ है ?
एंजियोग्राफी एक डायग्नोस्टिक प्रोसेस है जो यह जानने के लिए की जाती है कि आपकी आर्टरी में कोई ब्लॉकेज तो नहीं। वहीं एंजियोप्लास्टी वो तरीका है जिसके जरिए नसों व आर्टरी (धमनियों) में मौजूद ब्लॉकेज को हटाया जाता है।
एंजियोग्राफी क्या होती है? Angiography explained
एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) एक प्रकार का टेस्ट होता है जिसमे X- Ray तकनीक के द्वारा आपके शरीर विभिन्न अंगों की जाँच की जाती है। इस टेस्ट में शरीर के जिस हिस्से की जाँच करनी है उसे X-Ray के द्वारा देखा जाता है जिसके लिए उस हिस्से की ब्लड वेसेल्स में एक अपारदर्शी पदार्थ इंजेक्ट किया जाता है जिससे उस हिस्से के अंदर का सब साफ- साफ दिखाई दे।
जब X- Ray तकनीक के द्वारा आपके हार्ट के विभिन्न चैंबरों और आर्टरीज/धमनियों में एक विशेष प्रकार की दवाई या डाई को इंजेक्ट कराकर डॉक्टर आपके हार्ट के ब्लड फ्लो और ब्लड प्रेशर को जांचते हैं और यह जांचते हैं कि आपकी कोरोनरी आर्टरीज में कोई ब्लॉकेज तो नहीं है, तो इस प्रकार के टेस्ट को कोरोनरी एंजियोग्राफी कहते हैं। इस टेस्ट को एंजिओग्राम (Angiogram) के नाम से भी जाना जाता है।
एंजियोग्राफी कैसे की जाती है – How Angiography is performed in Hindi
इस टेस्ट (Angiography in Hindi) में शरीर के जिस हिस्से की जाँच करनी है उसे X-Ray के द्वारा देखा जाता है जिसके लिए उस हिस्से की ब्लड वेसेल्स में एक अपारदर्शी पदार्थ इंजेक्ट किया जाता है जिससे उस हिस्से के अंदर का सब साफ- साफ दिखाई दे। इसके लिए टाँग के ऊपरी हिस्से या हाथ की नस में एक ट्यूब घुसाई जाती है जिसे कैथेटर कहते हैं। कैथेटर के द्वारा शरीर के उस हिस्से में डाई इंजेक्ट कराई जाती है, और जब डाई ब्लड वेसेल्स में आगे बढ़ती है तो उस समय X- Ray ले लिया जाता है। यह टेस्ट विशेष रूप से यह बताता है की शरीर के किसी हिस्से में ब्लड फ्लो और ब्लड सप्लाई अच्छे से हो रही है या नहीं।
यह टेस्ट 1-2 घंटे का होता है और टेस्ट के बाद कम से कम 4 -5 घंटे का आराम करना चाहिए। एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) टेस्ट पूरा होने के बाद केथेटर ट्यूब को निकल लिया जाता है और उस जगह को कुछ समय के लिए रुई से दबा दिया जाता है जिससे व्यक्ति का खून न बहे। कभी कभी डॉक्टर उस हिस्से को भरने के लिए टाँके लगा देते हैं या पट्टी या ड्रेसिंग कर देते हैं।
एंजियोग्राफी के बाद देखभाल – Caring after Angiography in Hindi
एंजियोग्राफी टेस्ट के बाद कुछ देखभाल आवश्यक होती हैं, अपने हेल्थ केयर टीम से सलाह लेने के बाद ही कोई काम करें। कुछ महत्वपूर्ण देखभाल इस प्रकार हैं-
- एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) टेस्ट पूरा हो जाने के बाद अपने शरीर से डाई को फ्लश आउट करने के लिए जितना हो सके पानी और अन्य तरल पदार्थ पियें और थोड़ा अबश्य खायें।
- अपने हेल्थ केयर टीम से पूछें की कब से पुनः आप अपनी दवाइयाँ ले सकते हैं, स्नान कर सकते हैं, और अपने सामान्य कार्य कबसे शुरू कर सकते हैं।
- एंजियोग्राफी (Angiography in Hindi) के बाद कुछ दिनों तक भरी समान और कठिन कार्य करने से बचें।
- एंजियोग्राफी टेस्ट के कुछ दिन तक एक्सरसाइज न करें और 5kg से ज्यादा वज़न न उठायें।
- शरीर के जिस हिस्से पर कैथेटर ट्यूब लगाई जाती है उस हिस्से को जितना हो सके पानी से बचा कर रखें।
एंजियोग्राफी के लिए क्या तैयारी करें? – Preparation for Angiography in Hindi
एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) या एंजियोग्राम अस्पताल के कैथीटेराइजेशन लैब या कैथ लैब में की जाती है। आपकी हेल्थ केयर टीम आपको विशिष्ट बातें बताएगी और आपके द्वारा ली जाने वाली किसी भी दवा के बारे में भी आपसे बात करेगी। आमतौर पर एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- एंजियोग्राफी करने से पहले अपने डॉक्टर से अच्छे से पूछ लें कि इस टेस्ट में क्या होता है और क्या क्या दवाइयां दी जाती हैं।
- एंजियोग्राफी (Angiography Meaning in Hindi) टेस्ट की पूरी प्रक्रिया करीबन 1 से 2 घंटे की होती है तो उसके हिसाब से ही हॉस्पिटल आएं।
- एंजियोग्राफी के लिए आते समय गहने और अन्य कीमती सामान घर पर ही निकल कर आएं।
- अपने एंजियोग्राफी से पहले मध्यरात्रि के बाद कुछ भी न खाएं और न ही कुछ पीएं।
- अगर आप किसी प्रकार की दवायें लेते हैं तो अपने डॉक्टर से पूछ लें कि एंजियोग्राफी से पहले उन्हें लिया जा सकता है या नहीं।
- यदि आपको मधुमेह है, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको अपने एंजियोग्राफी (Angiography in Hindi) से पहले इंसुलिन या अन्य ओरल मेडिकेशन लेना चाहिए या नहीं।
ऐन्जिओग्राम क्या है ?
एंजियोग्राफी के माध्यम से वाहिकाचित्र तैयार किया जाता है इसे ऐन्जिओग्राम कहा जाता है
वीन्स व आर्टरी में ब्लॉकेज
इसके कारणों की बात करें तो एक्सपर्ट बताते हैं कि दिल की आर्टरी (धमनियों) और नसों में ब्लॉकेज आ जाता है, जिसके उपचार के लिए एंजीयोप्लास्टी की जाती है। इस वजह से शरीर में ब्लड सप्लाई अच्छे से नहीं हो पाती है। हमारे ब्लड में कुछ डिफेक्ट होने की वजह से वीन्स-आर्टरी में इकट्ठा हो जाती है, इसे प्लॉक फॉरमेशन (plaque Formation) कहा जाता है। यही ब्लॉकेज का कारण बनता है।
प्लॉक फॉरमेशन का क्या है कारण
खून में हाई ट्राई ग्लेसराइड और हाई कोलेस्ट्रोल होने की वजह से प्लॉक फॉरमेशन होता है। कोलेस्ट्रोल व ट्राईग्लेसराइड्स दोनों ही एक प्रकार का फैट है। ऐसे में सामान्य से ज्यादा वसा युक्त भोजन करने से यह समस्या आ सकती है। वैसे लोग जो ज्यादा चीनी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं, इससे हमारे शरीर में फैट डिपॉजिशन बढ़ जाता है। यही आगे चलकर वीन्स व आर्टरी में डिपॉजिट होता है। इन्हीं कारणों से प्लॉक फॉरमेशन होता है।
प्लॉक फॉरमेशन से शरीर होने वाले नुकसान
शरीर की रक्तकोशिकाओं में यदि सामान्य रूप से ब्लड सप्लाई हो रही है तो ऐसे में शरीर के तमाम अंगों को अच्छे से खून पहुंचेगा वो अच्छे से काम करेंगे। प्लॉक फॉरमेशन की वजह से ब्लड सप्लाई प्रभावित होती है। इससे शरीर के अंग अच्छे से काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे में ऑर्गन फेल्योर और छाती में दर्द होता है। इसके बाद डॉक्टर शुरुआत में बीमारी का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी और बीमारी का पता लग जाने के बाद एंजियोप्लास्टी कर उपचार करते हैं।
एंजियोग्राफी से जुड़ी 7 बहुत ज़रूरी बातें?
अगर आपको सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या बेचैनी हो रही हो तो डॉक्टर से सम्पर्क करना और टेस्ट कराना ही सबसे अच्छा तरीका होगा और अगर डॉक्टर दिल की किसी बीमारी के बारे में बताता है तो आपको एंजियोग्राफी कराने की सलाह दी जा सकती है। लेकिन बहुत से लोगों को पता नहीं कि एंजियोग्राफी में क्या होता है।
- ज़्यादातर लोग यह सवाल पूछते हैं कि एंजियोग्राफी से पहले उन्हें किस प्रकार की दवाइयों का सेवन रोक देना चाहिए। तो अगर आप डायबिटीज़ की कोई दवा खाते हैं तो आपको एंजियोग्राफी वाले दिन उन्हें नहीं खाना चाहिए। लेकिन अगर आप खून को पतला करने की कोई दवा काते हैं तो उन्हें खाते रहें।
- अगर आपकी एंजियोग्राफी होनी है तो आपको दो घंटे पहले से कुछ भी नहीं खाना है। इसलिए एंजियोग्राफी वाले दिन सुबह हल्का नाश्ता करें।
- आमतौर पर एंजियोंग्राफी में 15 – 20 मिनट का समय लगता है क्योंकि इस प्रक्रिया में केवल इस बात का पता लगाया जाता है कि कहीं दिल में किसी प्रकार की गांठ तो नहीं जो रक्त के प्रवाह में रूकावट डाल रही हो। इसलिए इन बातों का पता लगने से आप आगे की जांच और प्रक्रिया के लिए तैयार रह सकेंगे।
- एंजियोग्राफी के दौरान आपको कोई लोकल एनस्थिसिया दिया जाता है। इसका मतलब है कि मरीज़ को पता होता है कि उसके आसपास क्या हो रहा है। जबकि सामान्य एनस्थिसिया में मरीज़ को पता नहीं चलता कि उसके साथ क्या हो रहा है। इसलिए तब तक डॉक्टर से एंजियोग्राय़फी के लिए न कहें जब तक कि आप पूरी तरह तैयार न हों।
- एक बार एंजियोग्राफी हो जाने के बाद अगर डॉक्टर एंजियोप्लास्टी करने की बात कहे तो उसी दिन करा लेना ठीक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके दिल में दोनों बार ट्यूब डाली जाती है और एंजियोप्लास्टी के समय इस ट्यूब में से केवल एक वायर गुज़ारा जाता है।
- अगर किसी कारणवश, मरीज़ या उसके परिवार का कोई सदस्य इस प्रक्रिया से मना कर दे तो ट्यूब निकाल दी जाती है और मरीज़ को घर भेज दिया जाता है। मरीज़ को बाद में बुलाया जाता है और फिर एक बार ट्यूब डाली जाती है, जिसका मतलब है कि मरीज़ को उसी प्रक्रिया से दोबारा गुज़रना पड़ता है।
- अगर एंजियोग्राफी हाथों से की जाती है तो मरीज़ दो घंटों के भीतर घर जा सकता है। आजकल इसी पद्धति का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाता है, जबकि पहले ट्यूब को ग्रॉइन की मदद से डाला जाता था। लेकिन ग्रॉइन से ट्यूब डाली जाने पर मरीज़ को 6-8 घंटे तक अस्पताल में ही रहना होता है।
एंजियोग्राफी के प्रकार - Types of Angiography in Hindi
- सेरेब्रेल एंजियोग्राफीइस में मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याओं के बारे में पता लगाया जाता है.
- फ्लोरोसीन एंजियोग्राफी इसका प्रयोग आँखों के रेटिना से सम्बन्धित समस्याओं का उपचार करने के लिये किया जाता है.
- फेमोरल एंजियोग्राफी यह एंजियोग्राफी जाँघ में समस्या का पता लगाने के लिए किया जाता है
- कोरोनरी एंजियोग्राफी में दिल सम्बन्धी समस्याओं के बारे में पता लगाया जाता है.
- इसके अलावा किडनी आदि की भी एंजियोग्राफी की जाती है
एंजियोग्राफी से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1एंजियोग्राफी में दर्द होता है क्या?
इस तकनीक में डाई को डाला जाता है और डाई जहां रुक जाती है तो उससे पता चल जाता है कि धमनियों में ब्लॉकेज कहां है। हाथ के सहारे डाई व कैथेटर डालने में ब्लीडिंग का खतरा न के बराबर होता है। आजकल इस प्रक्रिया के दौरान मरीज़ को दर्द का सामना नहीं करना पड़ता
2एंजियोग्राफी कब कराई जाती है?
जब हमारे दिल में या हमारे शरीर के किसी अंग में किसी प्रकार का कोई अवरोध उत्पन्न होता है या हमारा हार्ट सही प्रकार से काम नहीं करता तब उसकी जाँच करने के लिए एंजियोग्राफी की जाती है।
3एंजियोग्राफी के बाद कितने दिन आराम करें?
वजन उठाने या खड़ी ढलान पर चलने जैसे भारी व्यायाम को लगभग 4-6 सप्ताह तक करने से बचना चाहिए।
1 Comment
मेरा लास्ट वीक ही एंजियोप्लास्टी हुआ है ।।।आयुष हॉस्पिटल में ।।।अभी घर में हूं ।।3 ब्लॉकेज फाउंड हुआ हैं।।जो 90%वह क्लियर कर दिया ।।जो 50 +हैं वह भी करना पड़ेगा ।।क्या यह टैबलेट या दवाई से ठीक हो सकता है ।।।